शंकर सुवन भवानी नंदन सर्वमान्य गणराजन, गिरि कैलाश के वासी तेरा धरती पर अभिवादन। मंगलमूर्ति अमंगल की छाया से जगत बचाना, विनती कर स्वीकार विनायक अगले वर्ष फिर आना।।
Ravindra Jain मैंने थोड़ी देर धर्म संसद की बहस सुनी,
बोलनेवालों के विवाद में तर्क कम उन्माद अधिक था।सभी संत महंतों से मेरा ये
निवेदन है कि इस समय यह प्रसंग अप्रासंगिक है। जहाँ तक मुझे ज्ञात है साईं
बाबा ने कभी अपने आपको न अवतार कहा न संत। वे तो हमेशा कहते रहे- सबका मालिक एक। मैंने इसमें एक पंक्ति और जोड़ दी- उस मालिक के दर्शन होंगे नीयत रक्खो नेक।
इस समय हमें संगठन के लिए प्रयत्न करना चाहिए ना कि विघटन के लिए। मैंने
जैन होकर जहाँ एक ओर रामायण और कुरान का पद्यानुवाद किया वहीँ इस समय
सामवेद का अनुवाद कर रहा हूँ। हमारी धरती से विश्व भर में शांति का सन्देश
पहुंचा है। हम शांति प्रिय हैं हमें शांति से रहने दिया जाय। धर्म के नाम पर देश टूटे नहीं, आपसी भाईचारा सलामत रहे। देश पर धर्म और जाति क़ुर्बान है देश प्राणों से प्यारा सलामत रहे।।जै हिन्द--- रवीन्द्र जैन
दोस्तो ! मैंने वर्षों के अनुभव से ये निष्कर्ष
निकाला है कि प्रेम की पराकाष्ठा पागलपन को जन्म देती है।यदि आप भी उन्माद
की उसी स्थिति मे हैं तो हम दोनों एकदूसरे से बधाई लेने देने के अधिकारी
हैं। Love is Blind Followed by Madness...
सुन्दर सुखद सुशांत सुपावन,तीर्थ शिरोमणि श्री वृन्दावन। भू पर हरि का लीला धाम,वृन्दावन को कोटि प्रणाम।। कृष्ण के जन्मोत्सव पर उनकी प्रेम भूमि वृन्दावन में गाने का दुर्लभ अवसर प्राप्त हुआ। आनंद के उन पलों को आपके साथ बाँटकर शतगुणित करना चाहता हूँ। राधे राधे।।
Ravindra Jain वन्दे कृष्णं जगद्गुरुं अष्टम सन्तान माता देवकी ने जाई, वसुदेव जी ने अमूल्य निधि पाई। जगद्गुरु कृष्ण की जन्माष्टमी पर, सारे जगत को हार्दिक बधाई।।
Ravindra Jain लालकिले से बोल रहा था भारत माँ का लाल संकल्पों में बाँध रहा था भारतवर्ष विशाल। सम्यक वाणी से हृदयों में जगा दिया विश्वास सबने अनुभव किया कि मोदी जैसे सबके पास।।
दासता में पहले थे ज़बान पर बयान पर पंख थे मगर बला की सख्तियाँ उड़ान पर। गिनती पहुंची उँगलियों के आखिरी निशान तक तब कहीं तिरंगे घ्वज को देखा आसमान पर।। उनको क्या ख़बर कि इसका मोल क्या दिया गया वो जिन्हें की मिल गयी स्वतंत्रता मकान पर। उन अमर शहीदों को प्रणाम और बधाइयाँ देश को दिला गए जो मुक्ति खेल जान पर।।
With UMAJi an honorific "Sadhvi," an Indian politician and #Minister for #WaterResources, #River Development and #Ganga Rejuvenation in Union#Government of India.
Ravindra Jain राखी है रक्षा का सूत्र,स्नेह भरी बहना का सूत्र। कच्चे धागे का बन्धन,नाते की दृढ़ता का सूत्र।। मांगे वचन जनम भर का,एक घड़ी का बान्धा सूत्र। मधुरिम पावन और निस्वार्थ,कोई नहीं इस जैसा सूत्र।। रक्षा बंधन की हार्दिक शुभ कामनाएँ ...
Ravindra Jain आज एक वट वृक्ष ने गिरकर दुःख पहुँचाया भारी छाया दाता आश्रय दाता जन जन का हितकारी उज्जवल छवि स्वभाव से कोमल कृपाचार्य मनहारी मानव धर्म का पालक पोषक वह धर्मेश तिवारी। ऐसे मित्र जब खो जाएँ, तो जी करता है घर छोड़कर वैरागी हो जाएँ। परम पिता परमात्मा उस निर्मल आत्मा को शांति तथा परिजनों को धैर्य प्रदान करे। मेरी सपरिवार भावभीनी श्रद्धांजली
#AajkaSuvichar: विचार से कर्म की उत्पत्ति होती हैं कर्मा से आदत की उत्पत्ति होती हैं आदत से चरित्र की उत्पत्ति होती हैं और चरित्र से प्रारब्ध की उत्पत्ति होती है
Ravindra Jain एक सदी में पैदा होते एक किशोर कुमार, बहुआयामी प्रतिभा के स्वामी को नमन सौ बार। कानों से प्राणों तक उनके गीतों का विस्तार, बहुआयामी प्रतिभा के स्वामी को नमन सौ बार। मुझे डराने को वे मेरे गीतों से डरते थे। कहके रवीन्द्रनाथ मुझे वो संबोधित करते थे। उनसे पाए स्नेह का ऋण मै सकता नहीं उतार। बहुआयामी प्रतिभा के स्वामी को नमन सौ बार।।
Ravindra Jain यूँ तो हर दिन है दोस्ती के लिए आज के दिन का ख़ास है ये पयाम दोस्ती से नही बड़ी सौगात ज़िन्दगी लिख दो दोस्तों के नाम। दोस्ती में न कोई शर्त न मांग बोझ है कोई और न बंदिश है एक हसरत है मिलते रहने की नेक रिश्ता है नेक ख्वाहिश है दोस्तों से न कुछ गिला कीजै हर सितम भूल कर मिला कीजै।।